वक्री ग्रह कैलेंडर 2024
एस्ट्रोसेज का यह विशेष लेख वक्री ग्रह कैलेंडर 2024 ख़ास आपके लिए प्रस्तुत किया जा रहा है। इस आर्टिकल में हम आपको वर्ष 2024 में कौन से ग्रह किस दिन, किस तिथि को और किस राशि में वक्री गति प्रारंभ करेंगे और किस तिथि और राशि में उनकी वक्री गति का अंत होगा आदि के बारे में पूरी जानकारी देंगे क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की वक्री और मार्गी गति बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसके साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि कोई भी ग्रह वक्री अवस्था में किस प्रकार के परिणाम देने में सक्षम होता है।
Read Here In English: Retrograde Planets Calendar 2024
इस कैलेंडर के माध्यम से आप यह भी जान सकते हैं कि कोई ग्रह जब वक्री हो रहा है, तो उस समय वह किस राशि में है और जब वह वक्री से मार्गी अवस्था में आ रहा है, तो उस समय वह किस राशि में है, क्या उसने कोई राशि परिवर्तन किया है या उसी राशि में वह वक्री अवस्था को त्याग कर मार्गी या अवस्था में आया है। यह सभी जानकारियां अति महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसी के आधार पर किसी भी जातक के जीवन पर पड़ने वाले ग्रहों के प्रभाव को जानकर ही उसका भविष्य कथन किया जा सकता है। वर्ष 2024 में ग्रहों के वक्री होने की समस्त जानकारी के लिए आप एस्ट्रोसेज के वक्री ग्रह कैलेंडर 2024 देखें।
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वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सभी नवग्रहों का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और ग्रह व्यक्ति द्वारा किए गए कार्यों पर प्रतिक्रिया देते हैं। इन नवग्रहों में सूर्य देव को पिता और आत्मा का कारक माना गया है, चंद्रमा को माता का कारक माना गया है। ये वास्तव में दो प्राकृतिक ऊर्जाएं हैं। वहीं मंगल को भाई और साहस का प्रतीक है, बुध तर्क और बुद्धि से जुड़ा ग्रह है, देव गुरु बृहस्पति ज्ञान और धन से जुड़ा ग्रह है, शुक्र सौंदर्य, विलासिता और प्रेम का कारक है और जबकि शनि देव को सेवा से जुड़ा ग्रह माना जाता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि यह सभी नवग्रह अपने अपने स्वभाव और कुंडली में अपनी विशेष स्थिति के कारण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को किसी न किसी रूप में प्रभावित अवश्य करते हैं।
वक्री ग्रह कैलेंडर 2024 : वक्री ग्रह 2024 तिथि और समय
ग्रह | वक्री गति प्रारंभ | वक्री गति समाप्त | इस राशि से | इस राशि में |
बृहस्पति ग्रह | 09 अक्टूबर की दोपहर 12 बजकर 33 मिनट से | 04 फरवरी 2025 | वृषभ राशि | वृषभ |
शनि ग्रह | 29 जून की रात 11 बजकर 49 मिनट से | 15 नवंबर 2024 | कुंभ राशि | कुंभ राशि |
मंगल ग्रह | 07 दिसंबर की सुबह 04 बजकर 56 मिनट से | 24 फरवरी 2025 | सिंह राशि | कर्क राशि |
शुक्र ग्रह | 2024 में शुक्र वक्री नहीं हो रहे हैं | --- | --- | --- |
बुध ग्रह | 02 अप्रैल, 2024 की मध्यरात्रि 03 बजकर 18 मिनट से | 25 अप्रैल, 2024 | मेष राशि | मीन राशि |
05 अगस्त, 2024 की सुबह 09 बजकर 44 मिनट से | 29 अगस्त, 2024 | सिंह राशि | कर्क राशि | |
26 नंवबर, 2024 की सुबह 07 बजकर 39 मिनट से | 16 दिसंबर, 2024 | वृश्चिक राशि | वृश्चिक राशि |
वक्री ग्रह क्या है?
वैदिक ज्योतिष में मुख्य रूप से नौ ग्रहों को मान्यता दी गई है, लेकिन इनमें छाया ग्रह राहु और केतु को छोड़कर अन्य सात ग्रह मुख्य ग्रह माने जाते हैं क्योंकि यह सीधी गति में चलते हैं या गोचर करते हैं जबकि राहु और केतु छाया ग्रह के रूप में स्थित हैं। इस सात ग्रहों में सूर्य और चंद्रमा कभी भी वक्री अवस्था में नहीं होते। इनके अलावा अन्य पांच ग्रह मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि समय-समय पर अपनी मार्गी अवस्था से वक्री अवस्था में और फिर वक्री अवस्था से मार्गी अवस्था में आ जाते हैं और जीवन अलग-अलग क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे इस लेख में आगे जानते रहेंगे।
हम सभी जानते हैं कि सभी ग्रह अपने परिक्रमा पथ में (जो कि अंडाकार पथ होता है) सूर्य की परिक्रमा करते हैं इसलिए जब पृथ्वी के सापेक्ष ग्रहों का और उनकी गति का अध्ययन किया जाता है,तो पता चलता है कि कुछ परिस्थितियों में, ग्रह पृथ्वी से दूर भी चले जाते हैं। ज्योतिष में वक्री अवस्था को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि वक्री अवस्था में ग्रहों के परिणाम देने की क्षमता में वृद्धि हो जाती है और यह अधिक शक्तिशाली हो जाता है। कुछ ज्योतिष विशेषज्ञ किसी भी ग्रह के वक्री रूप को पूर्व जन्म से वर्तमान जीवन में लाए गए किसी ऋण का प्रभाव मानते हैं और वक्री ग्रह की स्थिति के अनुसार ही उसका फल बताते हैं।
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बृहस्पति ग्रह वक्री और उसके प्रभाव
वक्री ग्रह कैलेंडर 2024 के इस लेख में हम बृहस्पति ग्रह के बारे में बात करेंगे, जिन्हें देव गुरु के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इन्हें सभी देवी-देवताओं का गुरु माना जाता है। सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह के रूप में देव गुरु बृहस्पति विख्यात हैं। यह एक विस्तार वादी ग्रह हैं,जिसका अर्थ है कि यह हर अच्छी व बुरी चीज़ों को कई गुना बढ़ाकर या विस्तार कर के देते हैं। वैदिक ज्योतिष में देव गुरु बृहस्पति का नाम अत्यंत पूजनीय है और सर्वाधिक शुभ और भाग्यशाली ग्रहों में देव गुरु बृहस्पति का नाम सबसे पहले आता है। यह जीवन में विकास, ज्ञान, स्वास्थ्य, धन, आध्यात्मिक सफलता, शिक्षा, संतान और सौभाग्य के कारक माने जाते हैं। बृहस्पति की कृपा से ही व्यक्ति संतान सुख का अनुभव कर सकता है और धन-धान्य प्राप्त कर सकता है।
बृहस्पति ग्रह को पूर्ण रूप से सात्विक ग्रह भी कहा गया है। इनकी कृपा से ही व्यक्ति दया और परोपकार की भावना से युक्त होकर दूसरों की मदद करने के लिए आगे बढ़ता है। बृहस्पति ग्रह के आशीर्वाद से उच्च शिक्षा, कानून और फाइनेंस से संबंधित शिक्षा, विदेश यात्राएं और बड़े स्तर के व्यवसाय खूब फलते फूलते हैं और जातक इन क्षेत्रों में खूब नाम कमाता है। देव गुरु बृहस्पति को दो राशि का स्वामित्व प्राप्त है धनु राशि और मीन राशि। कर्क राशि इनकी उच्च राशि है, जबकि मकर राशि में यह नीच के होते हैं। यह ग्रह जातक को अच्छी एकाग्रता, अनुशासन और ईमानदारी तथा ईश्वर के प्रति समर्पण प्रदान करते हैं। इसके अलावा, यह जातक के अंदर आज्ञाकारिता और संस्कारों को बढ़ावा देते हैं।
किसी भी जातक की कुंडली में जब बृहस्पति कमज़ोर स्थिति में विराजमान होते हैं, तो वह किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले ही नाखुश या हार मान जाता है, जिससे उसके महत्वपूर्ण कामों में विलंब भी हो सकता है और कुछ जीवन के बड़े अवसर हाथ से निकल सकते हैं। वहीं दूसरी ओर, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति अनुकूल स्थिति में मौजूद हो और वक्री हो तो जातक का झुकाव आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ तेज़ी से बढ़ता है। ऐसा व्यक्ति कथावाचक या आध्यात्मिक गुरु भी बन सकता है। आमतौर पर वक्री बृहस्पति अनुकूल परिणाम देने के लिए ही जाने जाते हैं और व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार की सुख सुविधाओं की वृद्धि करते हैं।
वक्री ग्रह कैलेंडर 2024 के अनुसार, देव गुरु बृहस्पति का वक्री होना आपको अपने कार्यक्षेत्र में बहुत अधिक प्रयास करने के लिए प्रेरित करेगा। आप इस दौरान इतना आत्मविश्वास हासिल करेंगे कि कार्यक्षेत्र में कड़ी मेहनत कर के अपना नाम व प्रतिष्ठा बढ़ा सकते हैं और सभी बाधाओं को आसानी से दूर करने में सक्षम होंगे। छात्रों को अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर प्राप्त होगा और जो लोग सेल्स या मार्केटिंग के क्षेत्र से जुड़े हैं, उन्हें अपनी दृढ़ संकल्प शक्ति के द्वारा अपने काम को तेज़ी से पूरा करने में सहायता मिल सकती है। वक्री ग्रह कैलेंडर 2024 संकेत दे रहा है कि बृहस्पति की वक्री अवस्था कुछ जातकों के लिए काफी ज्यादा अच्छा रहने वाला है। वहीं यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति प्रतिकूल स्थिति में विराजमान हैं तो सावधान रहें और किसी भी तरह के गलत कार्यों से दूर रहें अन्यथा सरकार की तरफ से आपको दंडित किया जा सकता है।
उपाय: विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और अपने बड़ों और गुरुओं का सम्मान करें।
शनि ग्रह वक्री और उसके प्रभाव
वक्री ग्रह कैलेंडर 2024 के आर्टिकल में हम शनि ग्रह के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। वैदिक ज्योतिष में शनि देव को सबसे महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक माना गया है। इन्हें दंडाधिकारी और कर्मफल दाता भी कहा जाता है। शनि ग्रह किसी भी व्यक्ति को उनके कर्म व व्यवहार के आधार पर परिणाम प्रदान करते हैं। अच्छे कार्य करने वाले जातक को शनि अनुकूल परिणाम देते हैं और बुरे कार्य करने वाले जातकों को प्रतिकूल फल देते हैं। यह पक्षपाती नहीं होते अपितु निष्पक्ष रूप से अपना निर्णय देते हैं।
वैदिक ज्योतिष में शनिदेव को मकर और कुंभ राशि का स्वामित्व प्राप्त हैं। तुला राशि में ये उच्च के होते हैं, लेकिन मेष राशि इनकी नीच राशि मानी जाती है। शनि की साढ़ेसाती, ढैया और पनौती तथा कंटक शनि बहुत महत्वपूर्ण स्थिति में होते हैं क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करते हैं और जीवन की कसौटी पर कस कर खरा सोना बना देते हैं।
शनि एक न्यायप्रिय ग्रह है जो जीवन में अनुशासन के मूल्य पर जोर देते हैं। जो जातक अनुशासित जीवन जीते हैं उन पर शनि देव की विशेष कृपा बनी रहती है। शनिदेव भरोसेमंद और शांत स्वभाव के हैं। शनि की शुभ स्थिति के परिणामस्वरूप जातक में वफादारी और ईमानदारी के गुण पाए जाते हैं और ऐसे जातक बड़े मेहनती होते हैं।
आमतौर पर शनिदेव का वक्री होना शुभ नहीं माना जाता है क्योंकि यह अपने अच्छे फल देने की क्षमता में कमी कर देते हैं। चूंकि शनि धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है इसलिए यह अपनी दशा अंतर्दशा के अंतिम समय में परिणाम देते हैं और यदि ये वक्री हो जाते हैं, तो अन्य सभी कार्यों में विलंब कर देते हैं, जिसके कारण जातक को और अधिक मेहनत करने की आवश्यकता पड़ सकती है। लेकिन शनि वक्री होकर जातक को आशावादी बना देते हैं और चाहे कितनी भी कठिन परिस्थिति क्यों न हो, ऐसे जातक जल्दी हिम्मत नहीं हारते और लगातार प्रयास करते रहते हैं, चाहे परिस्थितियां कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हों।
वक्री ग्रह कैलेंडर 2024 के अनुसार, जब शनि वक्री होंगे तो प्रत्येक राशि के जातकों को सकारात्मक व नकारात्मक दोनों प्रकार के परिणाम प्रदान करेंगे। कुछ लोगों को शनि की वक्री गति के कारण महत्वपूर्ण कार्यों में देरी का सामना करना पड़ेगा और नौकरी में भी समस्याएं आ सकती है जबकि शुभ स्थिति वाले वक्री शनि से प्रभावित जातक अपने करियर में सफलता पाने के लिए कठिन मेहनत करेंगे। वक्री शनि जातक को जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं और जातक अपने अधीन या अपने से नीचे काम करने वाले कर्मचारियों के प्रति दया की भावना रखते हैं। यदि शनि कमज़ोर अवस्था में विराजमान हो तो व्यक्ति को अपने हर एक कार्य में बहुत अधिक प्रयास करने के बाद ही सफलता मिलती है। ऐसी स्थिति में जातक को घबराना नहीं चाहिए और वक्री शनि की स्थिति में जातक को और अधिक प्रयास करते रहना चाहिए।
उपाय: भगवान शनिदेव के नील शनि स्तोत्र का पाठ करें। श्रमिकों को खाना खिलाएं।
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वक्री ग्रह कैलेंडर 2024 : मंगल ग्रह वक्री और उसके प्रभाव
मंगल ग्रह को ग्रहों का सेनापति माना जाता है। यह अत्यंत शक्तिशाली ग्रह के साथ-साथ उग्र ग्रह भी माना जाता है। यदि कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में हो तो जातक को मांगलिक बनाती है। मंगल ग्रह को अंग्रेजी में मार्स कहा जाता है। यह अत्यंत ऊर्जावान और सक्रिय ग्रह है, जो जातक को जीवन ऊर्जा प्रदान करता है। कुंडली में मंगल ग्रह प्रमुख स्थान रखता है। यदि कुंडली के तीसरे, छठे, दसवें या ग्यारहवें भाव में मंगल विराजमान हो तो जातक को बहुत शक्तिशाली बना देता है। मंगल दो राशि मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी हैं मकर राशि में ये उच्च के तथा कर्क राशि में नीच के माने जाते हैं।
मंगल ग्रह ऊर्जा का भंडार है और जातक को दैनिक गतिविधियों को पूरा करने के लिए जो ऊर्जा आवश्यक होती है, वह उसको मंगल ग्रह द्वारा प्रदान की जाती है। यह हमारे शरीर में रक्त के रूप में मंगल हमें जीवित रखता है। यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल अनुकूल स्थिति में विराजमान हो तो जातक को खूब धन लाभ होता है और वह जीवन का आनंद लेने में सक्षम होता है। जातक को किसी भी कार्य में देरी का सामना नहीं करना पड़ता। वहीं मंगल की प्रतिकूल स्थिति के परिणामस्वरूप जातक डरपोक बनता है और अपने विचार को दूसरों के सामने व्यक्त करने में असमर्थ होता है। इसके अलावा, अनेक प्रकार रक्त से संबंधित बीमारियां उसे घेर लेती हैं और कई बार नेतृत्व करने की क्षमता में कमी देखने को मिलती है।
वक्री ग्रह कैलेंडर 2024 संकेत देता है कि कुंडली में मंगल की अशुभ स्थिति के कारण जातक छोटी-छोटी बातों पर क्रोधित हो जाता है। ऐसा जातक बेवजह किसी दूसरों के मामलों और झगड़ों में हस्तक्षेप करने लगता है और झगड़े का हिस्सेदार बन जाता है। मंगल की स्थिति प्रतिकूल होने पर जातक मानसिक उन्माद रक्तचाप, रक्त संबंधी समस्याएं, फोड़े-फुंसी और किसी भी प्रकार की क्षति, दुर्घटना या सर्जरी होने की संभावना बढ़ा देता है।
मंगल वक्री होने की अवस्था में जातक को बहुत जल्दी प्रभावित करता है। इसका परिणाम शीघ्र ही दृष्टिगोचर होता है और वक्री मंगल व्यक्ति को बेवजह के झगड़ों में फंसवा देता है। मंगल की दशा में व्यक्ति को गंभीर चोट या दुर्घटना की संभावना बन जाती है, इसके अलावा उसे किसी प्रतिकूल परिस्थिति में कोर्ट और पुलिस का सामना भी करना पड़ सकता है। यदि कुंडली में वक्री मंगल शुभ स्थिति में हो तो जातक मंगल की दशा में बेहद भाग्यशाली परिणाम प्राप्त करता है।
2024 में भी मंगल के वक्री होने से लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा। जिन लोगों की कुंडली में मंगल शुभ भावों के स्वामी हैं और शुभ ग्रहों के संबंध में हैं, उन्हें वक्री मंगल कभी भी कोई समस्या नहीं देंगे और उनके जीवन में उन्नति के कई मार्ग खोल देंगे। जबकि अशुभ भावों के स्वामी होकर अशुभ भाव में अशुभ ग्रहों के साथ आने पर भी बुरे फलों में कमी देखने को मिल सकती है। ऐसे में, जातक भीड़ के सामने अपनी बात कहने में सक्षम होता तथा लीडर के रूप में भी जाना जा सकता है। मंगल 2024 में वक्री हो रहे हैं और जातकों को शारीरिक समस्याओं के साथ मानसिक अवसाद क्रोध और चिड़चिड़ापन प्रदान कर सकते हैं।
उपाय: छोटे और गरीब बच्चों को केले खिलाएं। वक्री मंगल के किसी भी नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए हनुमान मंदिर जाएं।
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वक्री ग्रह कैलेंडर 2024 : शुक्र ग्रह वक्री और उसके प्रभाव
वक्री ग्रह कैलेंडर 2024 के इस लेख में अब हम बात करेंगे वक्री शुक्र ग्रह के प्रभाव के बारे में। शुक्र ग्रह को सौरमंडल का सबसे चमकीला ग्रह माना जाता है। इसे भोर का तारा या सांझ का तारा के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिष में, शुक्र सुख, विलासिता, ख़ुशी, प्रेम और घनिष्ठ संबंधों का ग्रह है। अंग्रेजी में शुक्र को वीनस कहते हैं, जिसे प्रेम की देवी भी कहा जाता है। शुक्र ग्रह एक स्त्री प्रधान ग्रह है और किसी भी जातक की कुंडली में यह उसकी पत्नी को दर्शाता है। शुक्र मीन राशि में उच्च और कन्या राशि में नीच अवस्था में होते हैं। ये वृषभ और तुला राशि के स्वामी हैं। यह वैवाहिक सुख, सौंदर्य, रोमांस, भौतिक सुख, प्रेम संबंध और सभी सुख-सुविधाओं का कारक ग्रह हैं। इतना ही नहीं, यह व्यक्ति को कोई न कोई कला जरूर प्रदान करता है और जातक क्रिएटिव हो जाता है। शुक्र ग्रह जीवन में ढेर सारी खुशियां लाता है और हर प्रकार की समस्याओं को दूर करता है।
शुक्र को ग्लैमर और फैशन का ग्रह भी माना जाता है। यदि किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन में सुख-सुविधाओं की प्राप्ति करनी हो तो उसे शुक्र ग्रह की पूजा करनी चाहिए। पौराणिक कथाओं में जहां एक तरफ शुक्र को दैत्य गुरु शुक्राचार्य के रूप में मान्यता दी जाती है, वहीं दूसरी तरफ, पौराणिक कथाओं में शुक्र ग्रह को देवी महालक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है इसलिए यदि आप जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो शुक्र ग्रह की पूजा जरूर करें। यदि आपकी कुंडली में शुक्र मजबूत स्थिति में है तो इसका मतलब है कि आपके पास वह सब कुछ है जो आपको चाहिए। हालांकि, यदि शुक्र प्रतिकूल स्थिति में मौजूद हैं, तो आपको उन सभी क्षेत्रों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जो शुक्र के आधिपत्य में आते हैं। इसकी वजह से बांझपन की समस्या भी हो सकती है और यह पुरुषों में शुक्राणु का कारक भी होता है, जिसकी वजह से संतान प्राप्ति में भी कई मुश्किलें आती हैं।
शुक्र का वक्री होना एक सामान्य घटना है, हालांकि वर्ष 2024 में शुक्र पूरे वर्ष में एक बार भी वक्री नहीं हो रहे हैं इसलिए, वक्री ग्रह कैलेंडर 2024 कोई भविष्यवाणी नहीं कर रहा है। हालांकि, शुक्र हमेशा की तरह एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते रहेंगे।
उपाय: प्रत्येक शुक्रवार को मां लक्ष्मी को पांच लाल फूल चढ़ाएं और आसपास किसी शिव मंदिर में जाएं।
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वक्री ग्रह कैलेंडर 2024 : बुध ग्रह वक्री और उसके प्रभाव
वैदिक ज्योतिष में बुध को शुभ ग्रह कहा गया है, लेकिन उन्हें ग्रहों की सभा में एक राजकुमार की उपाधि दी गई है। यह कम्युनिकेशन के कारक हैं और वाणी भी इन से ही संबंधित है। यह जिन ग्रहों के साथ संगति करते हैं उनके अनुसार ही परिणाम देते हैं। बुध कुंडली में यदि अशुभ ग्रह एक साथ होंगे, तो अशुभ परिणाम और शुभ ग्रह के साथ होंगे, तो शुभ परिणाम प्रदान करने वाले ग्रह हैं। बुध की गति भी काफी तेज है और यह अक्सर सूर्य के साथ ही देखे जाते हैं।
वैदिक ज्योतिष में बुध का वक्री होना शक्तिशाली माना जाता है। बुध ग्रह की बात करें तो इस ग्रह को संदेशवाहक भी माना जाता है। यह यात्रा और ट्रांसपोर्ट के कारक भी हैं, इसलिए अच्छी स्थिति में बुध होने पर व्यक्ति ट्रांसपोर्ट के काम में सफल हो सकता है। इसके अतिरिक्त कम्युनिकेशन के जितने भी काम हैं, उन सभी में बुध ग्रह की प्रभावी क्षमता काफी कारगर साबित होती है। इसके अलावा संचार क्षेत्र में बुध ग्रह की प्रभावशीलता काफी प्रबल दिखाई देती है। यदि आपकी कुंडली में बुध अनुकूल स्थिति में नहीं है, तो आपको बुध के वक्री होने के दौरान कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचना चाहिए क्योंकि इससे आपकी सोचने और समझने की क्षमता कमज़ोर हो सकती है और परिणाम प्रतिकूल हो सकते हैं। साथ ही, आपको समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यदि बुध अनुकूल स्थिति में नहीं है या वक्री हैं तो त्वचा रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
वक्री बुध 2024 के प्रभाव से जातक की तर्कशक्ति का विकास होगा और उनकी निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होगी। मुश्किल से मुश्किल चुनौतियों को ऐसे जातक आसानी से हल कर डालेंगे। वहीं यदि किसी की कुंडली में बुध वक्री होकर कमजोर अवस्था में स्थित है और पीड़ित हो रहे हैं अर्थात प्रतिकूल या अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हैं, तो जिस भाव में बुध ग्रह स्थित हैं और जिन भावों से उनका संबंध है, उनसे संबंधित फलों में कमी और बिखराव कर सकते हैं तथा कार्यों में विलंब भी ला सकते हैं। ऐसे जातकों को अपने कार्य क्षेत्र में अपने वरिष्ठ अधिकारियों से बहुत सोच समझकर बोलना चाहिए।
उपाय: वक्री बुध के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए पक्षियों या गाय को भीगे हुए हरे चने खिलाएं और बुधवार के दिन विधारा की जड़ धारण करें।
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