राम रक्षा स्तोत्र: सभी परेशानियों का रामबाण इलाज
राम रक्षा स्तोत्र में है सभी समस्याओं का अचूक इलाज। जहाँ भगवान श्री राम का नाम आ जाए ऐसा होना भी संभव है। लंका चढ़ाई के लिए बनाए गए सेतु पुल में पत्थर तैरने लगे थे, उन पत्थरों में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का ही नाम था। संस्कृत साहित्य में किसी भी देवी-देवता की स्तुति के लिए लिखे गये काव्य को स्तोत्र कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि राम रक्षा स्तोत्रम का जाप विधि अनुसार करने से मनुष्य की सारी परेशानियाँ, विपदाएं दूर हो जाती हैं।
श्री राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra) को विधि अनुसार, पढ़ना चाहिए। हमारे धार्मिक शास्त्रों में प्रत्येक कर्मकांड को संपन्न करने के लिए विधि-नियम बताए गए हैं। कई बार ऐसा देखा गया है कि हम नित्य पूजा-पाठ करते हैं, अपने इष्ट देवी-देवताओं का स्मरण करते हैं किंतु उसका फल हमें प्राप्त नहीं होता है। ऐसा इसलिए होता है कि हम नियमों की अनदेखी कर पूजा पाठ या फिर ईश्वर की स्तुति करने लगते हैं। राम रक्षा स्तोत्र को भी विधि अनुसार ही जपना चाहिए। तभी साधक को इसका वास्तविक फल प्राप्त होता है।
राम रक्षा स्तोत्र की रचना
राम रक्षा स्तोत्र की रचना बुध कौशिक (वाल्मीकि) ऋषि ने की थी। परंतु पौराणिक कथा के अनुसार, ऐसा कहा जाता कि महादेव शंकर स्वयं बुध कौशिक के स्वप्न में आए थे और उन्होंने ही ऋषि को श्री राम रक्षा स्तोत्र सुनाया था। जब सबेरा हुआ तो बुध कौशिक ने इस स्तोत्र को लिखा लिया। यह स्तोत्र देववाणी संस्कृत में है। आवश्यक नहीं है कि यह स्तोत्र केवल संकट के समय पढ़ा जाए। शुभ फल और भगवान श्री राम का आशीर्वाद पाने के लिए इसे सामान्य परिस्थिति में भी जपा जा सकता है। इसके उच्चारण से निकली शब्द ध्वनि वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचारित करती हैं।
श्री राम रक्षा स्तोत्र की जप विधि
राम रक्षा स्तोत्र के माध्यम से जातकों को विविध क्षेत्रों में सफलता मिलती है। हालाँकि कार्य के अनुरूप ही इसकी विधि में भी परिवर्तन देखने को मिलता है। इस स्तोत्र का 11बार अवश्य ही जपना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि यदि श्री राम रक्षा स्तोत्र का जाप 11 बार कर लिया जाए तो इसका प्रभाव दिन भर रहता है। यदि आप इसका जाप लगातार 45 दिनों तक करते हैं तो इसका प्रभाव दोगुना हो जाता है। नवरात्र के समय श्री राम रक्षा स्तोत्र का जाप अवश्य ही करना चाहिए। स्तोत्र को जपने से पूर्व शरीर और मन को शुद्ध अवश्य करें और सच्चे हृदय से भगवान राम का स्मरण करें।
राम रक्षा स्त्रोत्र
श्रीगणेशायनमः ।
अस्यश्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य।
बुधकौशिकऋषिः।
श्रीसीतारामचन्द्रोदेवता।
अनुष्टुप्छन्दः।सीताशक्तिः।
श्रीमत्हनुमान्कीलकम्।
श्रीरामचन्द्रप्रीत्यर्थेजपेविनियोगः।।
।। अथ ध्यानम् ।।
ध्यायेदाजानुबाहुन्,
धृतशरधनुषम्,
बद्धपद्मासनस्थम्
पीतं वासो वसानन्, नवकमल
दलस्पर्धिनेत्रम् प्रसन्नम् ।
वामाङ्कारूढसीता, मुखकमलमिलल्,
लोचनन् नीरदाभम्
नानाऽलङ्कारदीप्तन्, दधतमुरुजटा,
मण्डलम् रामचन्द्रम् ।।
।। इति ध्यानम् ।।
चरितम् रघुनाथस्य,
शतकोटिप्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरम् पुंसाम्,
महापातकनाशनम् ।।1।।
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामम्,
रामम् राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतञ्,
जटामुकुटमण्डितम् ।।2।।
सासितूणधनुर्बाण,
पाणिन् नक्तञ्चरान्तकम् ।
स्वलील या जगत्त्रातुम्,
आविर्भूतर्मजं विभुम् ।।3।।
रामरक्षाम् पठेत्प्राज्ञः,
पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघवः पातु,
भालन् दशरथात्मजः ।।4।।
कौसल्येयो दृशौ पातु,
विश्वामित्रप्रियः श्रुती ।
घ्राणम् पातु मखत्राता,
मुखं सौमित्रिवत्सलः ।।5।।
जिह्वां विद्यानिधिः पातु,
कण्ठम् भरतवन्दितः ।
स्कन्धौ दिव्यायुध पातु,
भुजौ भग्नेशकार्मुकः ।।6।।
करौ सीतापतिः पातु,
हृदयञ् जामदग्न्यजित् ।
मध्यम् पातु खरध्वंसी,
नाभिञ् जाम्बवदाश्रयः ।।7।।
सुग्रीवेशः कटी पातु,
सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।
ऊरू रघूत्तमः पातु,
रक्षःकुलविनाशकृत् ।।8।।
जानुनी सेतुकृत् पातु,
जङ्घे दशमुखान्तकः ।
पादौ बिभीषणश्रीदः,
पातु रामोऽखिलं वपुः ।।9।।
एताम् रामबलोपेताम्,
रक्षां यः सुकृती पठेत् ।
स चिरायुः सुखी पुत्री,
विजयी विनयी भवेत् ।।10।।
पातालभूतलव्योम,
चारिणश्छद्मचारिणः ।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते,
रक्षितम् रामनामभिः ।।11।।
रामेति रामभद्रेति,
रामचन्द्रेति वा स्मरन् ।
नरो न लिप्यते पापैर्,
भुक्तिम् मुक्तिञ् च विन्दति ।।12।।
जगज्जैत्रेकमन्त्रेण,
रामनाम्नाऽभिरक्षितम् ।
यः कण्ठे धारयेत्तस्य,
करस्थाः सर्वसिद्धयः ।।13।।
वङ्कापञ्जरनामेदं,
यो रामकवचं स्मरेत् ।
अव्याहताज्ञः सर्वत्र,
लभते जयमङ्गलम् ।।14।।
आदिष्टवान् यथा स्वप्ने,
रामरक्षामिमां हरः ।
तथा लिखितवान् प्रातः,
प्रबुद्धो बुधकौशिकः ।।15।।
आरामः कल्पवृक्षाणां,
विरामः सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानाम्,
रामः श्रीमान् स नः प्रभुः ।।16।।
तरुणौ रूपसम्पन्नौ,
सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ,
चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ।।17।।
फलमूलाशिनौ दान्तौ,
तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ,
भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ।।18।।
शरण्यौ सर्वसत्त्वानां,
श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्षःकुलनिहन्तारौ,
त्रायेतान् नौ रघूत्तमौ ।।19।।
आत्तसज्जधनुषा,
विषुस्पृशा- वक्षयाशुगनिषङ्गसङ्गिनौ । रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः,
पथि सदैव गच्छताम् ।।20।।
सन्नद्धः कवची खड्गी,
चापबाणधरो युवा । गच्छन्मनोरथोऽस्माकम्,
रामः पातु सलक्ष्मणः ।।21।।
रामो दाशरथिः शूरो,
लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः,
कौसल्येयो रघूत्तमः ।।22।।
वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः,
पुराणपुरुषोत्तमः ।
जानकीवल्लभः श्रीमान्,
अप्रमेयपराक्रमः ।।23।।
इत्येतानि जपन्नित्यम्,
मद्भक्तः श्रद्धयाऽन्वितः ।
अश्वमेधाधिकम् पुण्यं,
सम्प्राप्नोति न संशयः ।।24।।
रामन् दूर्वादलश्यामम्,
पद्माक्षम् पीतवाससम् ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्,
न ते संसारिणो नरः ।।25।।
रामं लक्ष्मणपूर्वजम् रघुवरम्,
सीतापतिं सुन्दरम्
काकुत्स्थङ् करुणार्णवङ् गुणनिधिं,
विप्रप्रियन् धार्मिकम् ।
राजेन्द्रं सत्यसन्धन्,
दशरथतनयं,
श्यामलं शान्तमूर्तिम्
वन्दे लोकाभिरामम्,
रघुकुलतिलकम्,
राघवम् रावणारिम् ।।26।।
रामाय रामभद्राय,
रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय,
सीतायाः पतये नमः ।।27।।
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम
श्रीराम राम शरणम् भव राम राम ।।28।।
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि । श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणम् प्रपद्ये ।।29।।
माता रामो, मत्पिता रामचन्द्रः
स्वामी रामो, मत्सखा रामचन्द्रः ।
सर्वस्वम् मे, रामचन्द्रो दयालुर्,
नान्यञ् जाने, नैव जाने न जाने ।।30।।
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य,
वामे तु जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य,
तं वन्दे रघुनन्दनम् ।।31।।
लोकाभिरामम् रणरङ्गधीरम्,
राजीवनेत्रम् रघुवंशनाथम् ।
कारुण्यरूपङ् करुणाकरन् तम्,
श्रीरामचन्द्रं शरणम् प्रपद्ये ।।32।।
मनोजवम् मारुततुल्यवेगञ्,
जितेन्द्रियम् बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं,
श्रीरामदूतं शरणम् प्रपद्ये ।।33।।
कूजन्तम् रामरामेति,
मधुरम् मधुराक्षरम् ।
आरुह्य कविताशाखां,
वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ।।34।।
आपदामपहर्तारन्,
दातारं सर्वसम्पदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामम्,
भूयो भूयो नमाम्यहम् ।।35।।
भर्जनम् भवबीजानाम्,
अर्जनं सुखसम्पदाम् ।
तर्जनं यमदूतानाम्,
रामरामेति गर्जनम् ।।36।।
रामो राजमणिः सदा विजयते,
रामम् रमेशम् भजे
रामेणाभिहता निशाचरचमू,
रामाय तस्मै नमः ।
रामान्नास्ति परायणम् परतरम्,
रामस्य दासोऽस्म्यहम्
रामे चित्तलयः सदा भवतु मे,
भो राम मामुद्धर ।।37।।
राम रामेति रामेति,
रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यम्,
रामनाम वरानने ।।38।।
।। इति श्रीबुधकौशिकविरचितं,
श्रीरामरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।
।। श्रीसीतारामचन्द्रार्पणमस्तु ।।
सफलता पाने के करें राम रक्षा स्तोत्र से जुड़ा यह टोटका
- सरसों के दाने एक कटोरी में दाल लें।
- कटोरी के नीचे कोई ऊनी वस्त्र या आसन होना चाहिए।
- राम रक्षा मन्त्र को 11बार पढ़ें।
- इस दौरान आपको अपनी उँगलियों से सरसों के दानों को कटोरी में घुमाते रहना है।
- इस समय भगवान श्री राम कि प्रतिमा या फोटो आपके आगे होनी चाहिए जिसे देखते हुए आपको मन्त्र पढ़ना है।
- ग्यारह बार के जाप से सरसों सिद्ध हो जायेगी।
- आप उस सरसों के दानों को शुद्ध और सुरक्षित पूजा स्थान पर रख लें।
- जब आवश्यकता पड़े तो कुछ दाने लेकर आजमायें।
यदि किसी कोर्ट-कचहरी में क़ानूनी वाद विवाद या मुकदमा हो तो उस दिन सरसों के दाने साथ लेकर जाएँ और वहां दाल दें जहाँ विरोधी बैठता है या उसके सम्मुख फेंक दें। ऐसा करने से उस केस का फैसला आपके हक में आएगा। कोर्ट के बाहर भी फैसला हो सकता है। वहीं यदि आप खेल या प्रतियोगिता या साक्षात्कार में प्रतिभाग करने जा रहे हैं तो सिद्ध सरसों को साथ ले जाएँ और अपनी जेब में रखें। ऐसा करने से आप जिस किसी भी उद्देश्य से घर से बाहर निकले हैं आपका वह उद्देश्य पूर्ण होगा। यात्रा में साथ ले जाएँ आपका कार्य सफल होगा। राम रक्षा स्त्रोत से पानी सिद्ध करके रोगी को पिलाया जा सकता है। रोगी को इसमें लाभ मिलेगा।
श्री राम रक्षा स्तोत्र के लाभ
जैसा कि हमने बताया है कि राम रक्षा स्तोत्र सभी समस्याओं का रामबाण इलाज है। इस स्तोत्र को जपने से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। जैसे -
- इसके पाठ से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की विपत्तियाँ दूर होती हैं।
- राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति भयमुक्त रहता है।
- यह सभी प्रकार के शारीरिक कष्टों को दूर करता है।
- इसका नित्य पाठ करने से व्यक्ति दीर्घायु, सुखी, संततिवान और विनय संपन्न होता है।
- मंगलवार के दिन इसका जाप करने से मंगल ग्रह के दोष समाप्त होते हैं।
- स्तोत्र के जाप से निकलने वाली ध्वनि से उसके चारों तरफ़ सुरक्षा कवच का निर्माण होता है।
- इसका पाठ करने से साधक को हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
भगवान राम के नाम में ही इतनी शक्ति है कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्श सदैव हमारे लिए प्रेरणास्रोत का कार्य करते हैं। इसलिए जो व्यक्ति रामरक्षा स्तोत्र को जपता है तो उसके अंदर अच्छे गुणों का विकास होता है। वह व्यक्ति हमेशा ही सच्चे मार्ग पर चलता है तथा अपने सिद्धांतों पर कायम रहते हुए बुराइयों को पराजित करता है। उसका व्यक्तित्व समाज के लिए प्रेरणा का कार्य करता है। 38 श्लोकों का यह स्तोत्र बेहद ही शक्तिशाली है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति श्रीराम के दिखाए गए मार्ग पर चलता है। उसे दैवीय शक्ति की आवश्यकता होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि राम का मार्ग बेहद कठिन है। आज के युग में इस पर चलना आसान नहीं है। इसलिए राम रक्षा स्तोत्र से व्यक्ति को इस मार्ग पर चलने की शक्ति मिलती है।
हम आशा करते हैं कि राम रक्षा स्तोत्र से जुड़ा यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा। हमारी वेबसाइट से जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद!
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