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काल भैरव मंत्र का महत्व, जाप विधि और उससे प्राप्त होने वाले लाभ।

काल भैरव मंत्र का महत्व शास्त्रों अनुसार काल भैरव भगवान शिव के ही रूद्र रूप माने गए हैं। जिन्हे महादेव ने क्रोध में आकर जन्म दिया था, यही कारण है कि भैरव को भगवान शिव का गण कहा गया है और अपने काल भैरव स्वरूप में महादेव बेहद विकराल एवं क्रोधी बताए गए हैं। उनके इसी रूद्र रूप का परिचय उनके स्वरूप में भी दिखाई देता है। उनके एक हाथ में छड़ी होती हैं और उनका वाहन काले कुत्ते है।

काल भैरव की उत्पत्ति

शिव पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि पौराणिक काल में अंधकासुर नामक दैत्य ने जब एक बार अपनी शक्तियों का गलत प्रयोग करते हुए भगवान शिव के ऊपर हमला कर दिया था तब महादेव ने उसके संहार के लिए अपने रक्त से भैरव को जन्म दिया।

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार एक बार त्रिदेव: ब्रम्हा, विष्णु एवं महादेव के बीच अपनी श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो गया। जिसके चलते तीनों देव अपनी योग्यता का वर्णन करने लगे। इसी विवाद के बीच ब्रम्हा जी ने भगवान शिव को कुछ अपशब्द कह दिए, जिससे भोलेनाथ तुरंत क्रोधित हो गए। उनके उसी गुस्से के एक अंश का जन्म हुआ जिसे काल भैरव कहा गया। महादेव के इस स्वरूप को डंडाधिपति और महाकालेश्वर के नाम से भी जाना गया।

जिस दिन काल भैरव की उत्पत्ति हुई वो तिथि मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि थी। इसलिए इस तिथि को काल भैरवाष्टमी या भैरवाष्टमी के नाम से जाना जाता है। इस पवित्र तिथि के दिन माना जाता है कि बाबा भैरव सभी पाप करने वाले लोगों का सर्वनाश कर उन्हें दंड देते हैं। इसीलिए उनके हाथ में मौजूद डंडे को दंड देने के अस्त्र के रूप में देखा जाता है।

काल भैरव पर लगा था ब्रम्ह् हत्या का पाप

शिव जी के रूद्र अंश से उत्पन्न हुए काल भैरव ने महादेव को अपमानित देख ब्रह्मदेव जी पर प्रहार करते हुए उसके पांच मुखों में से एक मुख काट दिया। जिसके चलते काल भैरव पर ब्रह्म-हत्या का पाप लगा। माना जाता है कि इसी पाप के कारण भैरव जी को एक लम्बे समय तक भिखारी बनकर रहना भी पड़ा था।

काल भैरव के स्वरूप

आज लोग बाबा भैरव को बटुक भैरव और काल भैरव रूप में सबसे ज्यादा पूजते हैं। कालिका पुराण में काल भैरव के कुल आठ स्वरूप का वर्णन किया गया है। उनके ये रूप असितांग भैरव, रुद्र भैरव, चंद्र भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत्त भैरव, कपाली भैरव, भीषण भैरव संहार भैरव हैं।

काल भैरव मंत्र का महत्व

-माना जाता है कि भगवान शिव के रूद्र स्वरूप काल भैरव की उपासना करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली हर प्रकार की समस्या दूर हो जाती है।

-इसी लिए भैरवाष्टमी के शुभ दिन बाबा भैरवनाथ के सही मंत्रों का प्रयोग कर आप अपने व्यापार, जीवन में आने वाली कठिनाइयों, शत्रु पक्ष पर विजय, कार्य में बाधा, हर प्रकार के मुकदमे में जीत, आदि में लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

-काल भैरव के मन्त्रों से मिलने वाले लाभ का वर्णन शास्त्रों में भी पढ़ने को मिलता है। जिसके अनुसार काल भैरव की उपासना करने से जीवन की हर तरह की मुश्किल आसान हो जाती है।

पढ़ें: रूद्र मंत्र से कैसे करें शिव जी को प्रसन्न और जानें महत्व एवं जाप विधि।

काल भैरव के चमत्कारी मंत्र

  • शास्त्रों में भैरव बाबा के उपरोक्त सभी मन्त्रों को समान रूप से फल प्रदान करने वाला बताया गया है।
  • यदि आप भैरव जी के बटुक रूप या सौम्य रूप की अर्चना करना चाहते है तो नीचे दिए गये मन्त्रों का जप कर सकते है |
-ॐ कर कलित कपाल कुण्डली दण्ड पाणी तरुण तिमिर व्याल
यज्ञोपवीती कर्त्तु समया सपर्या विघ्न्नविच्छेद हेतवे
जयती बटुक नाथ सिद्धि साधकानाम
ॐ श्री बम् बटुक भैरवाय नमः।।
-ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं।।


  • इसके अलावा यदि आपका कोई रुका हुआ काम कई प्रयास के बाद भी नहीं बन पा रहा है तो “ओम ब्रह्म काल भैरवाय फट” मंत्र का जप करना सबसे ज्यादा लाभकारी साबित होता है।
  • यदि आपकी संतान को किसी भी प्रकार का कोई भय या बाधा सता रही है तो उसके छुटकारे के लिए “कौम भयहरणं च भैरव:ल” मंत्र का जप करने से आपको महज 24 घंटे के अंदर लाभ मिलेगा।
  • साथ ही साथ यदि कोर्ट-कचहरी के किसी मुक़दमे के चलते परेशानी आ रही है तो “ऊं हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:” मंत्र का जाप कर काल भैरव की साधना करें। माना जाता है कि इस मंत्र की 11 मालाएँ जप करने से आपको तुरंत लाभ मिलेगा।

काल भैरव मन्त्र से मिलने वाले लाभ

-काल भैरव महादेव के रूद्र रूप हैं। जो स्वभाव से तेज एवं गुस्सैल होते है। साथ ही उन्हें तंत्र का देवता भी माना जाता है। इसलिए यदि आप काल भैरव मन्त्र का जप करते हैं तो आप पर हर प्रकार की तांत्रिक क्रियाएं व जादू-टोना असफल हो जाता है।

-काल भैरव मन्त्र का नियमित रूप से जप करने से आपके शरीर में हर प्रकार की प्रेत-आत्मा या नकारात्मक ऊर्जा का वास खत्म हो जाता है।

-यदि आप नियमित रूप से काल भैरव के मंत्रों का जप विशेष तौर से काल भैरव अष्टमी के दिन करते हैं तो आप अपने शत्रुओं-विरोधियों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

-देखा गया है कि इन मन्त्रों का जप करने से जीवन में आ रही हर तरह की कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं और आपको समाज में प्रतिष्ठा भी प्राप्त होती है।

-इसके अलावा सच्चे मन से काल भैरव मंत्र का जप करने से आपकी कुंडली में मौजूद कई प्रकार के दोष दूर हो सकते हैं। जिनमें से मुख्यत: मंगल दोष, राहू-केतु दोष एवं काल सर्प दोष शामिल हैं।

-यदि कोई भक्त बाबा भैरव को कालाष्टमी के दिन काली उड़द या उससे बनी सामग्री जैसे-इमरती, कचौड़ी, दही बड़े आदि एवं दूध व मेवे से बनी चीजों का भोग लगाता है तो बाबा उसकी हर मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

-चूंकि बाबा भैरव को तंत्र के देवता मन गया है इसलिए उन्हें शराब का भी प्रसाद चढ़ाया जाता है।

-यदि घर में कोई भी सदस्य लंबे समय से किसी बीमार से पीड़ित है तो काल भैरव मन्त्र उसके लिए सबसे ज्यादा प्रभावशाली साबित होता है।

पढ़ें: माँ काली महाकाली भद्रकाली का संपूर्ण मंत्र!

काल भैरव मंत्र जप विधि

-काल भैरव मंत्र का जप करने के लिए सबसे पहले पूजा स्थल पर पूर्ण विधि-विधान अनुसार काल भैरव यंत्र की स्थापना करें।

-इसके बाद अपनी समस्या अनुसार उपरोक्त दिए गये मंत्रों में से काल भैरव के किसी भी मंत्र का चुनाव करें।

-याद रहे कि काल भैरव मंत्र का जप नियमित रूप से व समय के अनुसार ही करना चाहिए।

-इसके बाद पूजा स्थल पर घी का एक दीपक व धुप आदि लगाए।

-दीपक के लिए केवल एक चौमुखा मिट्टी या पीतल का ही प्रयोग करें।

-अब सबसे पहले प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश का ध्यान करें।

-इसके बाद ही भैरव बाबा का ध्यान करते हुए उनके मंत्र का जप करना आरम्भ करें।

-कल भैरव का आह्वान करने के लिए स्फटिक की माला का इस्तेमाल करना शुभ माना गया है।

-मंत्र जप करने से पहले ही उसके जप की संख्या अपने सामर्थ्य अनुसार निश्चित कर लें।

-इसके बाद प्रतिदिन इसी तरह समान मात्रा में मन्त्र का जप करें |

-ध्यान रहे कि यदि आप पूजा स्थल के अतिरिक्त किसी अन्य पवित्र स्थान पर चौकी की स्थापना करके काल भैरव मंत्र का जप कर रहे हैं तो इसके लिए केवल तेल के दीपक का प्रयोग करें।

-उपासक का मुंह मंत्र जपने के दौरान पूरब दिशा की ओर होना चाहिए और उसे लाल रंग के आसान पर ही बैठना चाहिए।

कब करें काल भैरव मंत्र का जप

-शास्त्रों अनुसार काल भैरव की उपासना के लिए सबसे शुभ दिन रविवार होता है।

-इसके अलावा कोई भी व्यक्ति मंगलवार और शनिवार को भी काल भैरव की पूजा व उसके मंत्र का जप कर उनकी आराधना कर सकता है।

माना जाता है कि विशेष रूप से अर्ध रात्रि (रात12 बजे) के समय की गई काल भैरव की उपासना विशेष फल प्रदान करने वाली होती है।

हम आशा करते हैं कि हमारे द्वारा ‘काल भैरव मंत्र’ के ऊपर लिखा गया ये लेख आपके लिए बेहद कारगर साबित होगा। हम आपके मंगल भविष्य की कामना करते हैं।

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