जैन कैलेंडर 2024
एस्ट्रोसेज का जैन कैलेंडर 2024आर्टिकल में हम आपको वर्ष 2024 में आने वाले जैन धर्म के प्रमुख व्रत और त्योहारों की तिथियों समेत सभी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करेंगे। जैन धर्म दुनिया के प्राचीन धर्मों में से एक है, जिसका संस्थापक ऋषभ देव को माना जाता है। इस आर्टिकल में हम आपको जैन कैलेंडर 2024 के बारे में विस्तारपूर्वक बताएंगे लेकिन उससे पहले नज़र डालते हैं वर्ष 2024 में आने वाले जैन धर्म के प्रमुख त्योहारों और व्रतों की तिथियों पर।
Read in English: Jain Calendar 2024
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जैन कैलेंडर 2024: त्यौहार एवं पर्व की तिथियां
जैन कैलेंडर 2024: जनवरी
तिथि/ दिन |
पर्व |
7 जनवरी, रविवार |
पार्श्वनाथ जयंती |
14 जनवरी,रविवार |
यतींद्र सुरेश्वर दिवस/ त्रिस्तुति |
17 जनवरी, बुधवार |
श्री राजेंद्र सुरेश्वर दिवस |
21 जनवरी, रविवार |
रोहिणी व्रत |
जैन कैलेंडर 2024: फरवरी
तिथि/ दिन |
पर्व |
7 फरवरी, बुधवार |
शीतलनाथ जन्म तप |
8 फरवरी, गुरुवार |
मेरु त्रयोदशी/आदिनाथ निर्वाण कल्याणक |
9 फरवरी, शुक्रवार |
ऋषभदेव मोक्ष |
14 फरवरी, बुधवार |
दसलक्षण (3/3) प्रारंभ |
16 फरवरी, शुक्रवार |
मर्यादा महोत्सव |
18 फरवरी, रविवार |
रोहिणी व्रत |
23 फरवरी, शुक्रवार |
श्री जितेंद्र रथ यात्रा, दसलक्षण (3/3) समाप्त |
जैन कैलेंडर 2024: मार्च
तिथि/ दिन |
पर्व |
17 मार्च, रविवार |
अष्टानिका (3/3) आरंभ |
25 मार्च, सोमवार |
अष्टानिका (3/3) समाप्त |
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जैन कैलेंडर 2024: अप्रैल
तिथि/ दिन |
पर्व |
02 अप्रैल, मंगलवार |
वर्षी तप आरम्भ |
13 अप्रैल, शनिवार |
दसलक्षण (1/3) आरंभ |
15 अप्रैल, सोमवार |
आयंबील ओली आरंभ |
21 अप्रैल, रविवार |
महावीर जयंती |
22 अप्रैल, सोमवार |
दसलक्षण (1/3) समाप्त |
23 अप्रैल, मंगलवार |
आयंबील ओली समाप्त |
जैन कैलेंडर 2024: मई
तिथि/ दिन |
पर्व |
18 मई, शनिवार |
श्री महावीर स्वामी कैवल्य ज्ञान दिवस |
24 मई, शुक्रवार |
ज्येष्ठ जिनवर व्रत प्रारंभ |
जैन कैलेंडर 2024: जून
तिथि/ दिन |
पर्व |
3 जून, सोमवार |
श्री अनंतनाथ जन्म तप |
6 जून, गुरुवार |
रोहिणी व्रत |
22 जून, शनिवार |
ज्येष्ठ जिनवर व्रत |
जैन कैलेंडर 2024: जुलाई
तिथि/ दिन |
पर्व |
14 जुलाई, रविवार |
अष्टानिका (1/3) प्रारंभ |
20 जुलाई, शनिवार |
चौमासी चौदस |
21 जुलाई, रविवार |
अष्टानिका (1/3) समाप्त |
जैन कैलेंडर 2024: अगस्त
तिथि/ दिन |
पर्व |
11 अगस्त, रविवार |
पार्श्वनाथ मोक्ष |
जैन कैलेंडर 2024: सितंबर
तिथि/ दिन |
पर्व |
3 सितंबर, मंगलवार |
संवत्सरी |
4 सितंबर, बुधवार |
कल्पसूत्र पाठ |
5 सितंबर, गुरुवार |
तैलधर तपः |
8 सितंबर, रविवार |
क्षमावाणी पर्व/ दसलक्षण (2/3) प्रारंभ |
17 सितंबर, मंगलवार |
दसलक्षण (2/3) समाप्त |
जैन कैलेंडर 2024: अक्टूबर
तिथि/ दिन |
पर्व |
9 अक्टूबर, बुधवार |
आयंबील ओली प्रारंभ |
17 अक्टूबर, गुरुवार |
आयंबील ओली समाप्त |
30 अक्टूबर, बुधवार |
श्री पद्म प्रभु जन्म तपः |
जैन कैलेंडर 2024: नवंबर
तिथि/ दिन |
पर्व |
1 नवंबर, शुक्रवार |
महावीर निर्वाण/ लक्ष्मी पूजा |
2 नवंबर, शनिवार |
गुजराती नया साल |
6 नवंबर, बुधवार |
ज्ञान पंचमी/सौभाग्य पंचमी |
8 नवंबर, शुक्रवार |
अष्टानिका (2/3) प्रारंभ/कार्तिक अष्टाह्निका विधान प्रारम्भ |
14 नवंबर, बृहस्पतिवार |
कार्तिक चौमासी चौदस |
15 नवंबर, शुक्रवार |
अष्टानिका (2/3) समाप्त/ कार्तिक अष्टाह्निका विधान पूर्ण/ कार्तिक रथ यात्रा |
17 नवंबर, रविवार |
रोहिणी व्रत |
25 नवंबर, सोमवार |
महावीर स्वामी दीक्षा |
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जैन कैलेंडर 2024: दिसंबर
तिथि/ दिन |
पर्व |
11 दिसंबर, बुधवार |
मौनी एकादशी |
14 दिसंबर, शनिवार |
रोहिणी व्रत |
जैन कैलेंडर 2024 का इतिहास
जैन शब्द ‘जिन’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है ‘जीतने वाला’। जैन धर्म दुनिया के सबसे पुराने और काफ़ी प्रचलित धर्मों में से एक है और इसकी स्थापना छठी शताब्दी ईसा पूर्व में हुई थी। ऋषभ देव को जैन धर्म का संस्थापक माना जाता है और ये जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे। यह धर्म अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह के सिद्धांत को मानता है। जैन धर्म के दो प्रमुख संप्रदाय दिगंबर जो आकाश से ढके हुए होते हैं और श्वेतांबर जो सफेद वस्त्र पहनते हैं।
जैन कैलेंडर 2024 की बात करें तो यह जैन धर्म से जुड़ा है। जैन धर्म में भी हिंदू त्योहारों का पालन किया जाता है। जैन कैलेंडर 2024 से लोगों को त्योहारों और अन्य घटनाओं की जानकारी आसानी से प्राप्त होती है। यह एक चन्द्र सौर कैलेंडर होता है। जैन कैलेंडर 2024 के घटकों को बनाने के लिए चंद्रमा और सूर्य दोनों की चाल और स्थिति का ध्यान रखा जाता है ताकि जैन त्योहारों और आयोजनों की सूची तैयार की जा सके। जैन कैलेंडर में कार्तक, मगसर, पोष, महा, फागन, चैत्र, वैशाख, जेठ, आषाढ़, श्रवण, भादरवो, आसो महीने होते हैं। जैन कैलेंडर में एक महीने में दिनों की औसत संख्या 30 होती है।
जैन कैलेंडर के प्रमुख व्रतों एवं त्योहारों का महत्व
रोहिणी व्रत: रोहिणी व्रत के दिन जैन समुदाय के लोग उपवास रखते हैं। रोहिणी व्रत हर महीने पड़ता है। यह व्रत तब रखा जाता है जब सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है। इस व्रत को मुख्य रूप से महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं।
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मेरु त्रयोदशी: मेरु त्रयोदशी का पर्व जैन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो हर साल मेरु त्रयोदशी पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। जैन धर्म का यह पर्व पिंगल कुमार की याद में मनाया जाता है।
फाल्गुन अष्टानिका आरंभ: यह पर्व साल में तीन बार आता है। इस पर्व को लेकर मान्यता है कि इस दौरान स्वर्ग से देवता आकर नंदीश्वर द्वीप में निरंतर आठ दिन तक धर्म कार्य करते हैं। आठ दिन का यह उत्सव जैन धर्म में विशेष स्थान रखता है और जैन धर्म के लोग इसे बड़े ही आस्था के साथ मनाते हैं।
संवत्सरी पर्व: जैन धर्म के लोग भाद्र मास की शुक्ल पंचमी को संवत्सरी पर्व के रूप में मनाते हैं। संवत्सरी के पर्व के दौरान लोग सात दिनों तक त्याग, तपस्या और पूरी तरह आस्था में लीन होते हैं व आठवें दिन को महापर्व के तौर पर मनाते हैं। दिगंबर समुदाय के लोग इस पर्व को ‘दासलक्षण’ कहते हैं, जबकि श्वेताम्बर समुदाय के लोग इसे पर्युषण पर्व के नाम से पुकारते हैं। इस दिन जैन समुदाय के लोग व्रत रखते हैं और हर नियमों का पालन सख्ती से करते हैं।
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महावीर जयंती: महावीर जयंती जैन समुदाय के लिए सबसे पवित्र पर्वों में से एक है। इस पर्व को जैन धर्म और संस्कृति के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती के रूप में मनाई जाती है। इस दिन 599 ईसा पूर्व में वर्धमान महावीर का जन्म हुआ था। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास के 13वें दिन यानी चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी तिथि को महावीर जयंती बड़े ही आस्था के साथ मनाई जाती है।
लक्ष्मी पूजा: जैन धर्म में लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है। जैन समुदाय के लोग लक्ष्मी पूजा तब उस तिथि पर करते हैं जब भगवान महावीर को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इस दिन लोग नए कार्यों की शुरुआत करते हैं। माना जाता है कि इस दिन से किसी भी कार्य की शुरुआत करना बेहद शुभ होता है।
ओली आरंभ: जैन धर्म में तपस्या का विशेष महत्व है इसलिए ओली आरंभ का पर्व जैन समुदाय के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रखता है। यह त्योहार साल में दो बार पड़ता है और नौ दिनों तक मनाया जाता है। पहला नवपद चैत्र माह में मार्च और अप्रैल के बीच मनाया जाता है और दूसरा अश्विन माह में सितंबर और अक्टूबर के बीच मनाया जाता है। तप व व्रत के लिए नौ दिन निर्धारित हैं।
कार्तिक रथ यात्रा: कार्तिक रथ यात्रा जैन धर्म का काफी महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो कार्तिक महीने में मनाया जाता है। इस दिन जैन धर्म के लोग गाजे-बाजे के साथ रथ यात्रा निकालते हैं।
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