शनि ग्रह का 12 भावों में फल लाल किताब के अनुसार
पढ़ें लाल किताब के अनुसार शनि ग्रह से संबंधित प्रभाव और उपाय। ज्योतिष शास्त्र में शनि को क्रूर व पापी ग्रह माना गया है। लाल किताब जो कि पूरी तरह से उपाय आधारित ज्योतिष पद्धति है। इसमें शनि ग्रह के विभिन्न भावों में फल और उनके प्रभाव के बारे में विस्तार से व्याख्या की गई है।
लाल किताब में शनि ग्रह
लाल किताब में शनि ग्रह को पापी ग्रहों का सरताज कहा जाता है। राहु और केतु दोनों इसके सेवक हैं। यदि यह तीनों ग्रह मिल जाये तो एक खतरनाक स्थिति बन जाया करती है। शनि शुक्र का प्रेमी और शुक्र इसकी प्रेमिका है। बुध अपनी आदत के अनुसार इन पापी ग्रहों के साथ मिलकर इनके जैसा ही बन जाया करता है। इसलिए यदि राहु, केतु शनि के सेवक हैं तो बुध, शुक्र शनि के मित्र हैं। अर्थात् शनि, राहु, केतु, बुध और शुक्र हर शरारत और फसाद की जड़ हो सकते हैं।
लाल किताब में शनि ग्रह का महत्व
ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को कलियुग का न्यायाधीश कहा जाता है। वे परम दण्डाधिकारी हैं और मनुष्य को उसके पाप और बुरे कार्यों के अनुसार दंडित करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शनि देव के कारण ही भगवान गणेश के सिर कटा। भगवान राम को भी शनिदेव के कारण ही वनवास जाना पड़ा। महाभारत काल में पांडवों को जंगल में भटकना पड़ा, उज्जैन के राजा विक्रमादित्य को कष्ट झेलने पड़े, राजा हरिशचंद्र दर-दर भटके और राजा नल और रानी दमयंती को जीवन में दुःखों का सामना करना पड़ा था। शनि को सूर्य पुत्र कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष में शनि को क्रूर व पापी ग्रह कहा गया है लेकिन यह सर्वाधिक शुभ फलदायी ग्रह भी है। लाल किताब के अनुसार दशम और एकादश भाव शनि के भाव हैं। शनि को मकर और कुंभ दो राशियों का स्वामित्व प्राप्त है। कुंडली के प्रथम भाव पर मेष राशि का आधिपत्य है और इस राशि में शनि नीच का होता है। शुभ योग होने पर इस भाव का शनि व्यक्ति को मालामाल कर देता है, जबकि अशुभ योग होने पर बर्बाद करके रख देता है। सप्तम भाव में राहु और केतु के होने पर शनि और भी अशुभ फलदायी हो जाता है। यदि दशम या एकादश भाव में सूर्य हो तो, मंगल व शुक्र भी अशुभ फल देने लगते हैं।
लाल किताब के अनुसार शनि ग्रह के कारकत्व
शनि को कर्म भाव का स्वामी कहा जाता है। यह सेवा और नौकरी का कारक होता है। काला रंग, काला धन, लोहा, लोहार, मिस्त्री, मशीन, कारखाना, कारीगर, मजदूर, चुनाई करने वाला, लोहे के औजार व सामान, जल्लाद, डाकू, चीर फाड़ करने वाला डॉक्टर, चालाक, तेज नज़र, चाचा, मछली, भैंस, भैंसा, मगरमच्छ, सांप, जादू, मंत्र, जीव हत्या, खजूर, अलताश का वृक्ष, लकड़ी, छाल, ईंट, सीमेंट, पत्थर, सूती, गोमेद, नशीली वस्तु, मांस, बाल, खाल, तेल, पेट्रोल, स्पिरिट, शराब, चना, उड़द, बादाम, नारियल, जूता, जुराब, चोट, हादसा यह सब शनि से संबंधित है।
शनि ग्रह का संबंध
शनि भैरों महाराज का प्रतीक और पापी ग्रहों के गिरोह का सरदार ग्रह है। काला धन, लोहा, तेल, शराब, मांस और मकान आदि शनि से संबंधित वस्तुएँ हैं। वहीं भैंस, सांप, मछली, मजदूर आदि शनि से संबंधित जीव हैं। शनि जिस पर प्रसन्न हो जाये उसे निहाल कर दे और अगर क्रोधी हो जाये तो बर्बाद कर दे।
शनि ग्रह के अशुभ होने के लक्षण
- शनि के अशुभ प्रभाव से विवादों की वजह से भवन बिक जाता है।
- मकान या भवन का हिस्सा गिर जाता है या क्षतिग्रस्त हो जाता है।
- अंगों के बाल तेजी से झड़ जाते हैं।
- घर या दुकान में अचानक आग लग सकती है।
- किसी भी प्रकार से धन और संपत्ति का नाश होने लगता है।
- मनुष्य पराई स्त्री से संबंध रखकर बर्बाद हो जाता है।
- जुआ-सट्टे की लत लगने से व्यक्ति कंगाल हो जाता है।
- कानूनी या आपराधिक मामले में जेल हो जाती है।
- शराब के अत्यधिक सेवन से व्यक्ति की सेहत खराब हो जाती है।
- किसी हादसे में व्यक्ति अपंग हो सकता है।
लाल किताब में शनि ग्रह से जुड़े टोटके व उपाय
- शनि की वक्र दृष्टि से बचने के लिए हनुमान जी की सेवा और प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
- शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं।
- तिल, उड़द, लोहा, भैंस, तेल, काले कपड़े, काली गाय और जूते भी दान में देना चाहिए।
- मांगने वाले को लोहे का चिमटा, तवा, अंगीठी दान में देना चाहिए।
- जातक मस्तक पर तेल की बजाय दूध या दही का तिलक लगाया करें तो अति लाभदायक होगा।
- काले कुत्ते को रोटी खिलाना, पालना और उसकी सेवा करने से लाभ होगा।
- मकान के अंत में अंधेरी कोठी शुभ होगी।
- मछलियों को दाना या चावल डालना लाभकारी होता है।
- चावल या बादाम बहते पानी में डालने से लाभ होगा।
- शराब, मांस और अंडे से सख्त परहेज करें।
- मशीनरी और शनि संबंधित अन्य वस्तुओं से लाभ होगा।
- प्रतिदिन कौअे को रोटी खिलाएं।
- दांत, नाक और कान सदैव साफ रखें।
- अंधे, दिव्यांग, सेवकों और सफाईकर्मियों से अच्छा व्यवहार करें।
- छाया पात्र दान करें यानि एक कटोरी या अन्य पात्र में सरसों का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में अपने पापों की क्षमा मांगते हुए रख आएं।
- भूरे रंग की भैंस रखना लाभकारी होगी।
- मजदूर, भैंस और मछली की सेवा से लाभ होगा।
शनि हर राशि में लगभग ढाई वर्ष तक रहता है, इसलिए जब शनि मंदा हो या जातक अपने कर्मों द्वारा उसे मंदा कर ले, तो शनि 3 राशियों को पार करने के समय में व्यक्ति को बहुत दुःख और परेशानी पहुंचाता है। इसी को साढ़े सात वर्ष की साढ़े साती कहा गया है। चूंकि शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है इसलिए तीन राशियों में यह कुल साढ़े सात वर्ष की अवधि गुजारता है। जब शनि चंद्र से प्रथम राशि में आता है तो साढ़े साती प्रारंभ होती है और जब चंद्र से अगली राशि में से निकलने के बाद शनि की साढ़े साती खत्म हो जाती है।
हम आशा करते हैं शनि ग्रह पर आधारित लाल किताब से संबंधित यह जानकारी आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
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