शुक्र ग्रह का 12 भावों में फल लाल किताब के अनुसार
पढ़ें लाल किताब के अनुसार शुक्र ग्रह से संबंधित प्रभाव और उपाय। ज्योतिष में शुक्र को एक शुभ ग्रह माना गया है। लाल किताब जो कि पूरी तरह से उपाय आधारित ज्योतिष पद्धति है। इसमें शुक्र ग्रह के विभिन्न भावों में फल और उनके प्रभाव के बारे में विस्तार से व्याख्या की गई है।
लाल किताब में शुक्र ग्रह
शुक्र एक चमकीला और नैसर्गिक रूप से सुन्दर ग्रह है। शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति को भौतिक और समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। लाल किताब के अनुसार शुक्र ग्रह प्रेम, वासना, विवाह, जीवनसाथी, गृहस्थी सुख और जमीन का कारक होता है। मनुष्य के अंदर प्रेम की भावना का नाम शुक्र है। इसके लिए व्यक्ति रुपया, पैसा, भूमि, संपत्ति और धन-दौलत सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार हो जाता है। शुक्र ग्रह को लक्ष्मी जी का प्रतीक माना गया है। कुंडली में शुक्र की शुभ स्थिति जीवन को सुखमय और प्रेममय बनाती है और अशुभ स्थिति चारित्रिक दोष व पीड़ा उत्पन्न करती है।
लाल किताब में शुक्र ग्रह का महत्व
काल पुरुष कुंडली में शुक्र का स्थान द्वितीय और सप्तम है। जहां द्वितीय भाव संपत्ति, परिवार और मुख का कारक है, जबकि सप्तम भाव से जीवनसाथी, बिजनेस पार्टनर और यात्रा के समय सहयात्री को देखा जाता है। शुक्र ग्रह को वृषभ और तुला राशि का स्वामित्व प्राप्त है। शुक्र मीन राशि में उच्च का माना गया है जबकि कन्या राशि में यह नीच का होता है। लाल किताब में शुक्र ग्रह गाय, पति-पत्नी, धन, लक्ष्मी, दूसरे और सातवें घर का मालिक है। इसलिए दूसरा घर घर-पति-पत्नी या ससुराल का भाव माना गया है और सप्तम भाव गृहस्थ जीवन का भाव होता है। शनि, बुध और केतु शुक्र के मित्र ग्रह होते हैं। वहीं सूर्य, चंद्रमा और राहु इसके शत्रु माने गये हैं। बुध, केतु और शनि के घर में शुक्र बलवान और उत्तम फल देने वाला होता है। वहीं शुक्र ग्रह बृहस्पति से शत्रुता का भाव रखता है। वहीं सूर्य और शनि की दृष्टि शुक्र को प्रभावित करती है। सूर्य और शनि के बीच टकराव में शुक्र हमेशा निर्बल हो जाता है। शुक्र को पुरुष की कुंडली में स्त्री और स्त्री की कुंडली में पुरुष माना जाता है। टेवे में दूसरा, तीसरा, चौथा, सातवां और बारहवें खाने में शुक्र श्रेष्ठ माना जाता है जबकि प्रथम, षष्टम और नवम खाने में यह मंदा होता है। सप्तम भाव में शुक्र जिस ग्रह के साथ संबंध बनाता है उसे अपना प्रभाव प्रदान करता है। शुक्र चंद्रमा के साथ मिलकर नैसर्गिक लक्ष्मी योग बनाता है। जिस जातक की कुंडली में शुक्र और चंद्रमा की युति हो, वह व्यक्ति काम भावना में प्रबल और विलासिता के साधन जुटाने में आगे होता है।
लाल किताब के अनुसार शुक्र ग्रह के कारकत्व
लाल किताब में शुक्र ग्रह कई विषयों का कारक और प्रतीक माना गया है। इनमें देवी लक्ष्मी, धन, भूमि, संपत्ति, किसान, गाय, बैल, कुम्हार, मनियार, पशु पालक, शुक्र ग्रह के प्रतीक हैं। इसके अलावा दही, दही जैसा रंग, कपास, घी, पति-पत्नी, वीर्य, लिंग, कामदेव, फूल, अन्न, मक्खन, चमड़ी, स्थान, भूमि, श्रृंगार का सामान, मिट्टी व मिट्टी से संबंधित कार्य, हीरा, जस्ता, धातु, गोबर और गौ मूत्र सभी वस्तुएँ शुक्र से संबंधित हैं। शरीर में जननांग, वीर्य व नेत्र पर शुक्र का प्रभाव रहता है। शुक्र प्रेम, विवाह, मैथुन, ऐश्वर्य, गायन और नृत्य का अधिपति होता है।
शुक्र ग्रह का संबंध
जर (पैसा), जोरु (स्त्री) और जमीन का मिश्रण शुक्र कहलाता है, इसलिए इन तीनों के मालिक व्यक्ति के घर में शुक्र (लक्ष्मी) का वास माना जाता है। अतः शुक्र ग्रह को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है।
शुक्र ग्रह के अशुभ होने के लक्षण
- शुक्र ग्रह का राहु के साथ होना यानि स्त्री और धन का प्रभाव खत्म होने लगता है।
- अंगूठे में दर्द रहना या बिना किसी बीमारी के ही अंगूठा खराब हो जाता है।
- त्वचा विकार, गुप्त रोग, जीवनसाथी से अनावश्यक कलह भी शुक्र के बुरे लक्षण को दर्शाती है।
- अगर शनि मंदा अर्थात नीच का हो, तब भी शुक्र ग्रह का प्रभाव बुरा होता है।
- शुक्र के अशुभ फल देने पर व्यक्ति में चारित्रिक दोष उत्पन्न हो जाता है। मंदा शुक्र वैवाहिक जीवन में अशांति और कलह पैदा करता है। त्वचा संबंधी रोग और अंगूठे में पीड़ा भी शुक्र की अशुभ निशानी कही गई है।
लाल किताब में शुक्र ग्रह से जुड़े टोटके व उपाय
अगर कुंडली में शुक्र योग कारक ग्रह होते हुए भी अच्छे फल प्रदान नहीं कर रहा है तो लाल किताब के उपाय अवश्य करना चाहिए-
- शुक्रवार या अन्य किसी शुभ मुहूर्त में चांदी के आभूषण धारण करना चाहिए।
- चांदी की कटोरी में सफेद चंदन, सफेद पत्थर का टुकड़ा रखकर शयन कक्ष में रखें।
- हीरा या शुक्र यंत्र धारण करें।
- क्रीम रंग के वस्त्र धारण करना और घर में क्रीम रंग के पर्दे व चादरों आदि का प्रयोग करना चाहिए।
- घर में तुलसी का पौधा लगाना, सफेद पुष्प लगाना और सफेद गाय रखना शुभ होगा।
- शुक्रवार के दिन श्री दुर्गा पूजन, 5 कन्याओं की पूजा और उन्हें खीर व सफेद वस्त्र भेंट करना।
- आलू में हल्दी डालकर उन्हें पीले कर गाय को खिलाना चाहिए।
- पांच शुक्रवार तक धर्म स्थान पर दूध, मिश्री, चावल, बर्फी और सफेद वस्त्र का दान करना चाहिए।
- माता, दादी और महिलाओं आदि को प्रसन्न रखना और उन्हें दुःख नहीं देना चाहिए।
- शुक्रवार से शुरू करके सात दिनों तक गौ शाला में गाय को हरा चारा, शक्कर डालना चाहिए।
- चांदी की गोली सदैव अपनी पॉकेट में रखें।
- चतुर्थ भाव में शुक्र का मंदा होने पर जीवनसाथी से पुनः विवाह करना चाहिए।
- धन व संतान के लिए स्त्री को बालों में सोने की क्लिप या सुई लगाकर रखना चाहिए।
- खाना नंबर 6 में शुक्र मंदा होने पर संतान के लिए अंगों को दूध से धोना चाहिए।
लाल किताब में शुक्र ग्रह के संबंध में मन और इंद्रियों को नियंत्रित रखने पर विशेष बल देता है।
शुक्र को प्रमुखता से दो रूपों में देखा जाता है। एक स्त्री या लक्ष्मी के रूप में और दूसरा दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य के रूप में। एक ओर जहां शुक्र समस्त सांसारिक सुख-साधन प्रदान करता है। वहीं दूसरी ओर साहस और शक्ति भी देता है, इसलिए कुंडली में शुक्र की शुभ स्थिति हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण होती है।
हम आशा करते हैं कि लाल किताब में शुक्र ग्रह पर आधारित यह जानकारी आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
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